इस बही से मिलती है परिवार के हर सदस्य की जानकारी
बीकानेर. बही लेखन की परम्परा प्राचीन है। शताब्दियों बाद भी परिवार में हुए जन्म और मृत्यु सहित समय-समय पर होने वाले आयोजनों की जानकारी भाट बहियों में दर्ज है। लोग आज भी विवाद की स्थिति सहित परिवार के वंशावली लेखन में इन बहियों को ही आधार मानते हैं। रियासतकाल में स्वर्णिम दौर में रही बही लेखन की परम्परा हालांकि वर्तमान में अब कम हुई है, लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी बही लेखन से जुड़े रहे परिवारों में आज भी शताब्दियों पुरानी बहियां सुरक्षित और संरक्षित हंै। कई समाज और जातियों के बही भाट आज भी इस परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। परिवारों की पीढि़यों का वर्णन बही लेखन परम्परा से जुड़े शंकर भाट के अनुसार बही में परिवारों की कई पीढि़यों की जानकारी हैं। परिवार बीकानेर में कब और कहां से आया, कुल देवी और कुल देवता, गोत्र, पूर्वजों के नाम सहित कई प्रकार की जानकारियां हैं। परिवारों की जमीन, जायदाद, गोदनामा, उत्तराधिकार, जन्म-मृत्यु, विवाह, खेत, परिवारों में हुए आयोजन आदि की जानकारियां बही में दर्ज है। परिवारों के वंशावली के पुराने प्रकरणों में भी इन बहियों को साक्ष्य माना जाता है। अब फोटो क...