तेरह साल से 75 हैक्टेयर भूमि और साढ़े चार करोड़ रुपए पास, फिर भी सूखा बंदरगाह की पूरी नहीं आस
-दिनेश कुमार स्वामी
बीकानेर. संभाग के उद्योग और व्यापार को पंख लगाने वाला ड्राईपोर्ट प्रोजेक्ट (सूखा बंदरगाह) राजनीतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी से आकार नहीं ले पा रहा। तेरह साल पहले साल 2008 में ड्राईपोर्ट के लिए 75 हैक्टेयर भूमि का आवंटन किया गया। केन्द्र सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय ने भूमि पेटे साढ़े चार करोड़ रुपए जिला प्रशासन को हस्तांतरित कर दिए। इसके बाद दी राजस्थान स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉरर्पोशन लिमिटेड (राजसिको) ने तय अवधि में ड्राईपोर्ट निर्माण शुरू नहीं किया। एेसे में अनुबंध की समय सीमा गुजरने पर राज्य सरकार ने पैसे अपने कब्जे में ले लिए।
गत २४ नवम्बर को जयपुर में राजसिको की बोर्ड बैठक में बीकानेर के ड्राईपोर्ट के लिए आवंटित भूमि के आवंटन रद्द करने को एजेंडे में शामिल किया गया। बोर्ड ने भूमि आवंटन के लिए पुन: राज्य स्तरीय निर्यात संवद्र्धन कमेटी में मामला भेजने का निर्णय किया है। इसके साथ ही वैकल्पिक भूमि जामसर के पास व अन्य जगह भी सर्वे कर चुके है। अब राजस्थान के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने वाली आगामी बैठक में निर्णय का इंतजार है।
प्रदेश का महत्वपूर्ण हब बनेगा बीकानेर
ड्राईपोर्ट बनने पर यहां से विदेश में भेजे जाने वाले माल के कंटेनर बुक होंगे। जिप्सम बड़ी तादाद में विदेश में निर्यात होता है। देश के महानगरों से सोलर की प्लेटें बड़ी तादाद में बीकानेर और जैसलमेर आ रही है। यहां से मूंगफली विदेश में निर्यात होती है।
सूखा बंदरगाह बनने पर यहां
से कच्चा माल निर्यात और तैयार माल आयात की सहूलियत होगी। गुजरात बंदरगाह से बाहर भेजे जाने वाला उत्तर भारत का माल भी बीकानेर होकर जाता है। जो बीकानेर से आयात-निर्यात से ट्रक भाड़ा का तीस प्रतिशत खर्चा बचेगा।
संभाग में यह सामान आयात व निर्यात
बीकानेर से दलहन का कच्चा माल, मूंगफली, मैथी, जीरा और साबुदाना का निर्यात होता है। यहां से ९ से १० हजार कंटेनर भूजिया, पापड़, रसगुल्ला और नमकीन का निर्यात होता है।
बीकानेर से सिरेमिक इंडस्ट्री के लिए व्हाइट क्ले बाहर भेजा जाता है। वूलन बाहर से आती है और तैयार ग्लीचे बाहर भेजे जाते है।
हनुमानगढ़ से केमिकल और श्रीगंगानगर से किन्नू विदेशों को निर्यात किए जाते है। सरदारशहर से तैयार फर्नीचर का निर्यात किया जाता है। नागौर के मसाले भी निर्यात होते है।
तीन मंत्री है....अभी नहीं तो कभी नहीं
बीकानेर जिले से प्रदेश सरकार में तीनों कांग्रेसी विधायक मंत्री है। शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला, ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी और आपदा एवं राहत मंत्री गोविन्दराम मेघवाल का राज्य सरकार में पूरा दखल है। केन्द्र सरकार में भी बीकानेर के सांसद अर्जुनराम मेघवाल मंत्री है। एेसे में ड्राईपोर्ट का कार्य अब सिरे नहीं चढ़ा तो फिर अगले कई साल तक कोई उम्मीद नहीं है।
२००८ में भूमि और राशि जारी
क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए १७ अप्रेल २००८ को जिला कलक्टर की ओर से उप शासन सचिव को ७ अप्रेल २०१८ के निर्णय की पालना में नाल के पास खसरा नम्बर ८ के ६१९.७५ हैक्टेयर रकबे में से ७५ हैक्टेयर भूमि ड्राईपोर्ट का निर्माण करने के लिए राजसिको को आवंटित की। इसके लिए जिला कलक्टर को ४ करोड़ ४६ लाख २२ हजार ९९९ रुपए दिए गए। यह जमीन ९९ लीज पर दी गई।
२०१३ में कार्य रोकने के आदेश
२४ जनवरी २०१३ को १३वीं राज्य स्तरीय आयात संवद्र्धन समिति की बैठक हुई। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली इस बैठक में ड्राईपोर्ट के लिए जमीन आवंटन के पश्चात उस पर आगामी आदेश तक कार्य को बंद करने के निर्देश दिए गए।
२०१७ में भूमि आवंटन ही रद्द
आइसीडी को आवंटित भूमि पर निर्धारित अवधि में उपयोग नहीं होने की शर्त के उल्लंघन को मानते हुए राज्य सरकार ने २८ फरवरी २०१७ को ड्राईपोर्ट के लिए आवंटित भूमि का आवंटन निरस्त कर दिया गया। इसके बाद जिला कलक्टर के पास जमा साढ़े चार करोड़ रुपए का उपयोग नहीं होने से राज्य सरकार के पास चले गए।
२०२१ में आवंटन बहाल की मांग
केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने पहले १० मार्च २०२१ और अब पुन: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भेजकर बीकानेर क्षेत्र के विकास के लिए ड्राईपोर्ट के लिए आवंटित भूमि के रद्द किए आवंटन को बहाल करने की मांग की। उन्होंने अवगत कराया कि इस आवंटन पेटे पूरी राशि जिला कलक्टर बीकानेर के पास साल २००८ से जमा है। एेसे में आवंटन बहाल करने पर निर्माण कार्य का रास्ता खुल जाएगा।
कई बार लिख चुके पत्र
पैसे कलक्टर के पास जमा है। क्षेत्र के विकास में ड्राईपोर्ट मील का पत्थर साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके है। सरकार को इलाके के हित में आवंटित की गई भूमि पर ड्राईपोर्ट निर्माण को रोकने के आदेश को वापस लेना चाहिए। इस तरह के पोर्ट बनाने वाली कुछ निजी कम्पनियों से भी बात चल रही है।
-अर्जुनराम मेघवाल, केन्द्रीय मंत्री
लगातार उठा रहे मांग
&क्षेत्र के व्यापारी और उद्योगपति ड्राईपोर्ट की लगातार मांग उठा रहे है। केन्द्र और राज्य सरकार के मंत्रियों को बीकानेर जिला उद्योग संघ की ओर से ज्ञापन भी दिए गए है। अब जिले से तीन मंत्री हो गए है। उन्हें भी ज्ञापन सौंपकर मुख्यमंत्री से हस्ताक्षेप करवाकर सूखा बंदरगाह निर्माण कराने का आग्रह करेंगे।
-डीपी पच्चीसिया, अध्यक्ष बीकानेर जिला उद्योग संघ
source https://www.patrika.com/bikaner-news/bikaner-hindi-news-dryport-project-10101-7199918/
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