स्कूल खुलने के साथ स्टेशनरी विक्रय की उम्मीद से पुस्तक विक्रेताओं के चेहरे पर लौटी चमक
बीकानेर. कोरोना के कारण लंबे अंतराल के बाद अब स्कूलों को खोलने की घोषणा के बाद स्टेशनरी विक्रेताओं के चेहरों पर रौनक लौटने लगी है। पाठ्य पुस्तकों के साथ, बैग, नोटबुक समेत अन्य स्टेशनरी की बिक्री होने की उम्मीद बंधी है। हालांकि पुस्तक विक्रेताओं ने अभी नए सामान का ज्यादा स्टॉक नहीं मंगवाया है। एक अक्टूबर से कक्षा ९वीं से १२वीं तक के विद्यार्थियों का स्कूल में कक्षा शिक्षण शुरू होने के बाद पुस्तक विक्रेता मांग के अनुरूप सामान मंगवाएंगे। साथ ही अभी कक्षा ८वीं तक के विद्यार्थियों का कक्षा शिक्षण शुरू नहीं हुआ होने से उसके बारे में निर्णय का इंतजार है।
अब तक तो ऑनलाइन कक्षाएं संचालित होने के कारण विद्यार्थियों को स्टेशनरी की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ रही थी। साथ ही छोटी कक्षाएं भी बंद है। ऐसे में स्टेशनरी विक्रेताओं की हालत पस्त है। साल २०२० के शिक्षा सत्र के लिए जो सामान मंगाया था, वह भी नहीं बिका नहीं है।
पुस्तक विक्रेताओं के अनुसार ९वीं से १२वीं तक के विद्यार्थी बहुत कम स्कूल बैग आदि खरीदते हैं। पहली से आठवीं तक के स्कूल खुल जाएंगे तो ग्राहकी अच्छी होने लगेगी। उनकी पाठ्य पुस्तकें, प्रायोगिक सामान, नोटबुक और वनवीक सीरीज जैसी सामग्री ज्यादा बिकती है। बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थी कोचिंग भी जाते हैं। ऐसे में कुछ कोचिंग सेंटर अपने यहां सहायक पाठ्य सामग्री भी बेचते है।
नियमित स्कूलें खुलेंगे तभी बढ़ेंगे ग्राहक
दुकानदारों का कहना है कि अगर स्कूलें नियमित लगेगी तो ग्राहकी बढऩे की उम्मीद है। सरकार ने यह भी कह दिया है कि बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावकों की अनुमति भी जरूरी है। एेसे में स्टेशनरी विक्रेता स्कूलों में विद्यार्थी भेजने के प्रति अभिभावकों के रुझान को भी देखना चाहते है। पुस्तक एवं स्टेशनरी विक्रेता राहुल गर्ग ने बताया कि आमतौर पर जून के अंतिम सप्ताह में ग्राहकी उमडऩे लगती है। लेकिन कोरोना के कारण करीब डेढ़ साल से ग्राहकी बंद ही है। कॉपियां, किताबें तथा अन्य स्टेशनरी का सामान पहले तो मंगाया, वहीं पड़ा है।
ढाई से तीन हजार रुपए तक का सेट
९वीं से १२वीं तक की कक्षा के लिए पुस्तकें, कॉपियां, बस्ता तथा अन्य स्टेशनरी खरीदने के लिए ढाई से तीन हजार रुपए लगते हैं। इस बार इन कक्षाओं का पाठ्यक्रम भी बदला है। इस वजह से नई पुस्तकें खरीदनी होगी। इन कक्षाओं में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया गया है। सरकारी स्कूल में पाठ्य पुस्तकें तो नि:शुल्क मिल जाती है लेकिन नोटबुक व सहायक सामग्री बाजार से लेनी पड़ती है।
तीसरी लहर की आशंका भी सता रही
स्टेशनरी दुकानदार श्रीगोपाल अग्रलाल ने बताया कि पहले जो सामान मंगाया था। वह भी बिका नहीं था। अब सरकार ने घोषणा की तो ग्राहकी की आशा बंधी है। लेकिन तीसरी लहर का डर भी सता रहा है। इस वजह से नया ऑर्डर देने से हिचकिचा रहे हैं।
source https://www.patrika.com/bikaner-news/bikaner-hindi-news-stationery-shops-7040262/
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