मूंछ वाला रे सखी गोपाल
विमल छंगाणी - बीकानेर. भक्तों के मन मस्तिष्क में छाई भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं और छवि मूर्तियों के रूप में सामने आती है। नंदलाल को कभी श्रद्धालु बाल रूप में पूजते है तो कभी गायों को चराते ग्वाले के रूप में। राधा के साथ बंशी बजाते युगल जोड़ी का शृंगार करते है तो कभी गोवर्धन पर्वत को उठाए हुए अद्भुत रूप का। श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की हर छवि को अपने दिल में बिठाकर अपने को आनंदित करते है। भगवान श्रीकृष्ण का ऐसा ही एक स्वरूप है सखी गोपाल।
बीकानेर के देवीकुण्ड सागर के छह मंदिर में स्थित सखी गोपाल मंदिर में भगवान दो गोपियों के साथ है। इस मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की मूर्ति की सबसे बड़ी विशेषता है भगवान श्रीकृष्ण का मूंछों वाला स्वरूप। बताते है यह एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण के बांकडली मूंछे है। मूंछों वाले भगवान श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धालुओं में विशेष आस्था और श्रद्धा है। मूंछों वाले भगवान श्रीकृष्ण का जब राजस्थानी साफा, कलंगी, मोरपंख, पुष्पमाला से शृंगार होता है तब श्रद्धालु इस मनमोहिनी छवि को निहारते ही रहते है।
139 साल पुराना है मंदिर
देवीकुण्ड सागर में छह मंदिर परिसर में स्थित भगवान गोपाल का मंदिर 139 साल पुराना है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद व्यास की पुस्तक बीकानेर के शिलालेख में इस मंदिर की जानकारी देते हुए बताया है कि विक्रम संवत 1939 आसाढ़ शुक्ला 3, रविवार को डूंगरसिंह ने अपने पितामह शक्तिसिंह की स्मृति में भगवान गोपाल व गोपियों का मंदिर निर्माण करवाया था।
सखी गोपाल के नाम से प्रसिद्ध
मंदिर में स्थापित मूर्तियां सफेद संगमरमर से निर्मित है। भगवान कृष्ण की मनमोहिनी छवि है। कृष्ण बंशी बजा रहे है व पास में दो गोपियां चंवर हिला रही है। यह मंदिर सखी गोपाल के नाम से भी जाना जाता है। भगवान कृष्ण के सिर पर मुकुट,गले में आभूषण, खड़ी मूर्ति है।
कलात्मक चित्रकारी
निज मंदिर में कलात्मक चित्रकारी की हुई है। फूल-पत्तियों सहित बर्तनों में विभिन्न प्रकार के फलों को चित्रित किया हुआ है। दशकों बाद भी चित्रकारी के चटकीले रंग हर किसी के आकर्षण का केन्द्र बने हुए है। निज मंदिर की दीवारों सहित छत पर नयानिभराम चित्रकारी की हुई है।
श्रद्धालुओं में विशेष आस्था
देवीकुण्ड सागर स्थित सखी गोपाल मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की विशेष आस्था है। मंदिर पुजारी मोहित सेवग के अनुसार प्रतिदिन श्रद्धालु मंदिर में पहुंंचकर भगवान कृष्ण और गोपियों के दर्शन-पूजन करते है। जन्माष्टमी पर विशेष अभिषेक, पूजन,शृंगार, महाआरती के आयोजन होते है।
source https://www.patrika.com/bikaner-news/janmashtami-1-7038510/
Comments
Post a Comment