ग्रामीणों को न ब्लड बैंक का मिल रहा लाभ, ना ट्रोमा सेंटर की सुविधा
बीकानेर. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल है। ग्रामीणों को न विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाओं का लाभ मिल रहा है और ना ही आवश्यक चिकित्सकीय सेवाए। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सकों के स्वीकृत पद भी लंबे अर्से से खाली पड़े है। कई सीएचसी में कनिष्ठ विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद अब तक स्वीकृत भी नहीं है।
हालात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को जीवनदायी ब्लड और ट्रोमा सेंटर जैसी सुविधाएं भी प्राप्त नहीं हो रही है। वर्षो पहले सीएचसी पर ब्लड स्टोरेज यूनिट की शुरू हुई कवायद अब तक सभी सीएचसी में मूर्त रूप नहीं ले पाई है। जिले से होकर निकल रहे राष्ट्रीय राजमार्गो पर आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रोमा सेंटर स्थापित करने को लेकर न सरकार और ना ही स्वास्थ्य विभाग गंभीर नजर आ रहे है।
धूल फांक रही उम्मीदें
ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी पर ब्लड स्टोरेज यूनिट की सुविधा शुरू करने और राष्ट्रीय राजमार्गो पर ट्रोमा सेंटर शुरू करने को लेकर आमजन और जनप्रतिनिधि सरकार और प्रशासन तक अपनी मांगे पहुंचाते रहे है। जीवन को बचाने के लिए आवश्यक ब्लड और ट्रोमा सेंटर को लेकर स्थानीय विधायक भी सरकार तक बात पहुंचाते रहे है। विधायकों की ओर से लिखे जा रहे पत्र व आमजन की उम्मीदें शासन-प्रशासन के किसी कक्ष में धूल फांक रहे है।
ग्रामीण क्षेत्र में ट्रोमा सेंटर नहीं
जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों से होकर राष्ट्रीय राजमार्ग निकल रहे है। आए दिन इन मार्गो पर सडक़ दुर्घटनाएं होती रहती है। अगर ट्रोमा सेंटर हो तो दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जान को ट्रोमा सेंटर में त्वरित उपचार कर बचाई जा सकती है, लेकिन ५० से १०० किलोमीटर तक बीकानेर शहर आते-आते कई दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति जीवन से हाथ धो लेते है अथवा गंभीर स्थिति में पहुंच जाते है। स्थिति यह है कि जिले के एक भी ग्रामीण क्षेत्र में ट्रोमा सेंटर की सुविधा नहीं है। आवश्यकता होने पर पीबीएम ट्रोमा सेंटर ही आना पड़ता है।
भामाशाह तैयार, सरकार की स्वीकृति नहीं
श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से ट्रोमा सेंटर बनाने की मांग चल रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग होने से आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। ट्रोमा सेंटर की मांग बनी हुई है। विधायक गिरधारी लाल महिया के अनुसार ट्रोमा सेंटर बनाने के लिए भामाशाह तैयार है। जमीन भी देने को तैयार है। सरकार से स्वीकृति नहीं मिल रही है। विधायक के अनुसार सरकार सहयोग करे तो भामाशाह सहयोग करने को तैयार है। श्रीडूंगरगढ़-रतनगढ़ अथवा श्रीडूंगरगढ़-बीकानेर मार्ग पर ट्रोमा सेंटर की नितांत आवश्यकता है। सरकार तक मांग भी पहुंचा रखाी है। विधायक की ओर से श्रीडूंगरगढ़ सीएचसी को आदर्श सीएचसी बनाने के लिए विधायक निधि कोष से एक करोड़ रूपए की अनुशंषा भी की जा चुकी है, लेकिन अब तक सुविधाएं नहीं बढ़ी है।
कवायद शुरू, लाभ नहीं
जिले के पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ब्लड स्टोरेज यूनिट को शुरू करने की कवायद कई वर्ष पहले शुरू की गई। कुछ स्थानों पर कक्ष बनाए व कुछ संसाधन भी जुटाए गए, लेकिन आज तक यह यूनिट शुरू नहीं हो पाई है। जिले की नोखा सीएचसी में ब्लड स्टोरेज यूनिट क्रियाशील है। इसका लाभ लोगों को मिल रहा है। कोलायत, श्रीडूंगरगढ़, खाजूवाला और लूणकरनसर सीएचसी में यह यूनिट आज तक शुरू नहीं हो पाई है।
source https://www.patrika.com/bikaner-news/blood-bank-and-trauma-center-6872016/
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