चिकित्सकों ने तालियां बजाई, परिजनों ने जोड़े हाथ

बीकानेर। कोरोना मरीजों के बढऩे से एकबारगी कोविड हॉस्पिटल एमसीएच विंग फुल हो गई थी। गंभीर रोगियों के अलावा ऑक्सीजन लेवल कम होने वाले मरीज ठीक होकर घर लौट रहे थे लेकिन अब माहौल अलग है। अब जो मरीज पहले अति गंभीर थे, वह ठीक होर घर लौट रहे हैं।

मरीजों के डिस्चार्ज के दौरान एमसीएच विंग का माहौल खुशनुमा बन रहा है। चिकित्सक फुले नहीं समा रहे हैं तो मरीज-परिजन चिकित्सकों को दुआएं दे रहे हैं। कोविड हॉस्पिटल में अति गंभीर मरीज पिछले २० से २५ से भर्ती थे। शनिवार को ऐसे कई मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे। जब चिकित्सकों ने मरीज-परिजनों को डिस्चार्ज कर घर भेजने की जानकारी दी तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।

चिकित्सकों ने तालियां बजाई, परिजनों ने जोड़े हाथ
शनिवार की दोपहर करीब १२ बजे एमसीएच विंग में नजारा अलग ही था। डिस्चार्ज हुए मरीज घर जाने लगे तो चिकित्सक उन्हें गेट तक छोडऩे आए। यहां चिकित्सकों ने तालियां बजाकर उनकी हौसला अफजाई की। साथ ही चिकित्सकों ने मरीजों-परिजनों को पोस्त कोविड समय के दौरान विशेष ध्यान देने की हिदायत दी। वहीं मरीजों-परिजनों ने चिकित्सकों का हाथ जोड़कर साधुवाद दिया।

एक माह पहले की स्थिति
एमसीएच विंग में करीब एक माह पहले अति गंभीर रोगियों की संख्या ५० से ६० तक थी जो धीरे-धीरे बढ़ कर अब ८८ तक पहुंच गई। लेकिन अब धीरे-धीरे फिर स्थिति में सुधार हो रहा है। हर दिन एक-दो अति गंभीर मरीज ठीक हो रहे हैं। यह ऐसे मरीज जो यहां करीब १५ से २० दिनों से भर्ती हैं।


पीबीएम के आंकड़े
पीबीएम अस्पताल में आज तक चार लाख ८७ हजार ४०३ सैम्पलों की जांच की गई, जिसमें से ६३ हजार १६५ सैम्पल पॉजिटिव पाए गए। करीब डेढ़ साल में कोविड हॉस्पिटल में ७ हजार ६७४ मरीज भर्ती हुए, जिसमें से १०६८ की मौत हो गई। छह हजार ३८३ मरीज ठीक होकर घर लौट गए।


प्रदेश में पीबीएम की स्थिति अच्छी रही है। यहां भर्ती मरीजों के रिकवर होने का प्रतिशत ९७ है। मृत्युदर १.६९ हैं। चिकित्सकों के प्रयास और मरीजों के आत्मविश्वास से यह संभव हो पाया है। वर्तमान में ८८ मरीज ऐसे है जिनकी हालत अस्थिर बनी हुई हैं। पीबीएम में २९८ मरीज ऑक्सीजन पर हैं।
डॉ. एलए गौरी, अतिरिक्त प्राचार्य एसपी मेडिकल कॉलेज


कोरोना ने इस बार बेहद परेशान किया। तमाम कोशिशों के बावजूद कई लोगों की जान बचाई नहीं जा सकी। कई लोग अस्पताल में गंभीर हालत में पहुंचे और जो लोग संक्रमित होने के बाद थोड़ी तकलीफ बढऩे पर तुरंत अस्पताल पहुंचे वह ९९ प्रतिशत ठीक होकर घर लौट गए। चिकित्सकों की सलाह नहीं ली और घर पर ही दवा लेते रहे ऐसे १० प्रतिशत लोग अस्पताल में भर्ती हुए और उन्हें वेंटीलेटर सहित अन्य जीवरक्षक उपकरणों के सपोर्ट की जरूरत पड़ी।
डॉ. सुरेन्द्र कुमार वर्मा, वरिष्ठ प्रोफेसर मेडिसिन एवं कोरोना नोडल ऑफिसर



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