मन में ठानी और छोड़ दिया वर्षों का नशा

बीकानेर। मन को मना ले तो कोई काम ऐसा नहीं है जो हो नहीं पाए। किसी भी प्रकार का नशा करने वालों के लिए को मना लेना नशे से मुक्ति का मूल मंत्र है। मन मान गया तो फिर शरीर को घुन की तरह चाटने वाला नशा अपने आप साथ छोड़ देगा। कुछ इसी संकल्प के साथ जिले के नौ जवान व उम्र के तीसरे पड़ाव में नशे को छोड़ा है। नशे को हमेशा के लिए छोडऩे वाले लोगों ने युवाओं को संदेश दिया है कि नशा इंसान को खोखला कर सकता है इसके सिवा कुछ नहीं है। ऐस में युवाओं को नशा छोडऩे वालों से प्रेरित होकर नशे का त्याग करना चाहिए। कई लोगों ने नशा छोड़ा भी है।


पीबीएम के दम्माणी इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ एंड न्यूरो साइंसेज में नशा मुक्ति केन्द्र संचालित किया जा रहा है। मानसिक रोग एवं नशा मुक्ति विभाग के सह आचार्य डॉ. राकेश गढ़वाल के मुताबिक पिछले साल अगस्त से दिसंबर तक नशा छोडऩे का उपचार लेने के लिए २१०८ लोग पहुंचे, जिसमें से नौ महिलाएं भी शामिल थी। इनमें से ७१ पुरुष
ों को भर्ती करने की जरूरत पड़ी। शेष सभी मरीज ओपीडी में दवा लेने गए। डॉ. गढ़वाल ने बताया कि अब तक सैकड़ों लोग नशा छोड़ चुके हैं।
जिले में नशा छुड़ाने के लिए जिला अस्पताल में तम्बाकू निषेध केन्द्र (टीसीसी) एवं पीबीएम अस्पताल में मानसिक रोग विभाग में नशा मुक्ति केन्द्र संचालित हो रहा हैं। जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. प्रवीण चतुर्वेदी के मुताबिक टीसीसी केन्द्र में २१७९ रोगी उपचार ले रहें हैं। अब तक १११ लोगों ने किसी भी तरह का नशा करना छोड़ दिया हैं। पंजीकृत रोगियों में से ५० फीसदी ने नशा करना कम कर दिया है। जो लोग पहले दस सिगरेट पीते थे, १५ से बीस गुटखा एवं पांच-दस पान खाते थे वे अब एक-दो सिगरेट, दो-तीन गुटखा व दो पान खाने लगे हैं।

पिछले साल ६८३ कार्रवाई, इस साल कुछ नहीं
कोटपा अधिनियम २००३ की धारा चार में किसी भी सार्वजनिक स्थल पर बीड़ी, सिगरेट, हुक्का तथा सिगार पीने पर प्रतिबंध तथा उल्लंघन करने पर जुर्माना, धारा-५ में किसी भी तम्बाकू उत्पाद का विज्ञापन दुकान, टीवी, अखबार, रेडियो तथा इंटरनेट और तम्बाकू उत्पादों का प्रचार करने पर जुर्माने एवं सजा का प्रावधान हैं। धारा-६ ए के मुताबिक नाबालिग को तम्बाकू उत्पाद बेचने या उससे बिकवाने पर प्रतिबंध एवं दुकानों पर चेतावनी बोर्ड लगवाना अनिवार्य है। बीकानेर में पिछले साल सार्वजनिक स्थान किसी भी तरह के तम्बाकू उत्पाद खाने व पीने पर स्वास्थ्य एवं पुलिस विभाग की ओर से ६८३ कार्रवाई की गई। इनसे हजारों रुपए जुर्माना वसूला गया।

प्रशासनिक उदासीनता से कोटपा का डर नहीं
प्रशासनिक उदासीनता के चलते आमजन में कोटपा अधिनियम का डर नहीं है। सार्वजनिक स्थान पर जर्दा खाने, थुकने, सिगरेट व बीड़ी पीने पर जुर्माने का प्रावधान है लेकिन जुर्माना १०० से २०० रुपए तक है जो बेहद कम है। पिछले साल कोरोना के कारण सार्वजनिक स्थानों पर थुकने पर ५०० रुपए जुर्माना वसूला गया था। कोटपा अधिनियम की सख्ती से पालना नहीं की जाती, जिसके चलते सार्वजनिक स्थानों पर बीड़ी व सिगरेट के कस लगाते लोगों को देखा जा सकता हैं।

केस एक :- ३२ मूलचंद (बदला हुआ नाम) जर्दा बहुत ज्यादा खाता था। पिछले साल लॉकडाउन हुआ। जर्दा मिलना बंद हो गया और मिलता भी तो दोगुने दाम पर। जर्दें की बहुत तलब होती थी। परेशान होने लगा। तब एक दोस्त ने बताया कि जिला अस्पताल में जाकर चिकित्सक को दिखा। वहां गया चिकित्सक ने एक च्वाइंगम चबाने के लिए दी। एक महीने तक चबाई। पहले-पहले पांच-सात दिन जर्दे की तलब हुई लेकिन अब सही है। अब किसी भी तरह का जर्दा, गुटखा नहीं खाता हूं।


केस दो :- ३५ वर्षीय गजेन्द्रसिंह (बदला हुआ नाम) गुटखे का सेवन करता था। मेरे दोस्त ने गुटखा खाना छोड़ दिया। उससे प्रेरित होकर गुटखा छोडऩे का संकल्प लिया। जिला अस्पताल में चिकित्सक ने दो-तीन महीने तक दवाई के रूप में एक च्वाइंगम चबाने के लिए दी। च्वाइंगम का सेवन करने के बाद से गुटखे की अब तलब नहीं होती। अब सौंफ, इलायजी कभी-कभार मुंह में रख लेता हूं। गुटखा छोडऩे से दो फायदे हुए एक मुंह से बदबू नहीं आती और दूसरे फिजुल खर्ची बंद हो गई।



source https://www.patrika.com/bikaner-news/world-no-tobacco-day-2021-6872120/

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