सरकंडे की कलम से होती थी लिखावट, हस्तलिखित होते थे पंचांग

विमल छंगाणी-
पंचांग भारतवर्ष की ज्योतिष विद्या का प्रमुख दर्पण है। इसके पांच प्रमुख अंग तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण है। पंचांग में इन पांच प्रमुख अंगों की दैनिक जानकारी दी जाती है। धार्मिक अनुष्ठान, पर्व, त्यौहारों के साथ सभी प्रकार के मुहूर्त जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, भवन निर्माण, कूप खनन, रोजगार, व्यापार, नव प्रतिष्ठान की शुरूआत, नवगृह प्रवेश आदि की जानकारी पंचांग के माध्यम से प्राप्त होती है। पंचांग का इतिहास शताब्दियों पुराना है। पहले हस्तलिखित पंचांग तैयार होते थे। छपाई के लिए मशीनों के अविष्कार के बाद शनै-शनै इनका प्रकाशन शुरू हो गया। बीकानेर में भी पंचांग तैयार करने का दशकों पुराना इतिहास है।

दैनिक में विशेष प्रचलित राशिफल, ग्रह परिवर्तन, त्यौहार व व्रत, दिन रात सूर्य का उदय-अस्त, घडीपल और भारतीय समय का ज्ञान, मौसम परिवर्तन आदि की जानकारी पंचांग के माध्यम से देखी जाती है। खगोलशास्त्र और ज्योतिष में विभिन्न पंचांगों का प्रयोग होता है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार गणना के आधार पर हिन्दू पंचांग की तीन धाराए है- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित। चैत्र प्रतिपदा से नवसंवत् की शुरूआत होती है। नव पंचांग की शुरूआत भी इसी तिथि से होती है। सनातन धर्म में नवसंवत् के दिन पंचांग का पूजन करना, वाचन व सुनना श्रेष्ठ बताया गया है।

194 साल पुराना हस्तलिखित पंचांग
बीकानेर रियासत के महाराजा सूरतसिंह के शासनकाल में संवत् 1884 में तैयार हुआ हस्तलिखित पंचांग आज भी सुरक्षित है। ज्योतिष में रूचि रखने वाले ब्रजेश्वर लाल व्यास के अनुसार यह पंचांग हस्तलिखित और 194 साल पुराना है। इनके पास संवत् 1886 में तैयार हुआ हस्तलिखित पंचांग भी मौजूद है। वहीं बीकानेर रियासत के दौर के साथ-साथ देश की आजादी के बाद के पंचांग भी कई लोगों के पास सुरक्षित है।

पाटी पर गणना, होल्डर से लिखावट
आज जबकि कम्प्युटर और कैल्क्यूलेटर के माध्यम से गणितिय गणना की जाती है वहीं दशकों पूर्व पंचांग तैयार करने में पाटी बरतने का उपयोग होता था। गणितज्ञ और ज्योतिषाचार्य पत्थर से बनी पाटी और मिट्टी से बने बरतने के माध्यम से लम्बी चौड़ी ज्योतिषिय गणनाएं पाटी पर करते और फिर कागज पर होल्डर व दवात के माध्यम से लिखा जाता था। ब्रजेश्वरलाल व्यास के अनुसार पहले सरकंडे से तैयार कलम से पंचांग की लिखावट होती थी। बाद में लकड़ी और लोहे की निब से बने होल्डर से लिखावट शुरू हुई। रियासतकाल में तैयार होने वाले पंचांगों में तत्कालीन बीकानेर महाराजा के नाम का विशेष रूप से उल्लेख होता था।

पंडित आत्माराम भट्ट का विशेष उल्लेख
बीकानेर में ज्योतिष और गणित के क्षेत्र में विद्यार्थियों को पारंगत करने में मूल रूप से काशी निवासी पंडित आत्माराम भट्ट का विशेष उल्लेख मिलता है। बताया जाता है कि पंडित भट्ट ने बीकानेर में प्रवास कर दर्जनों विद्यार्थियों को ज्योतिष, गणित और कर्मकांड के क्षेत्र में पारंगत किया। कई पंचांगों में इनका विशेष उल्लेख है। पंडित भट्ट की ओर से तैयार किए गए विद्यार्थियों ने पंचांग तैयार करने में विशेष ख्याति प्राप्त की।

बीकानेर के पंचांग
रियासतकाल से अब तक बीकानेर के ज्योतिषाचार्यो और गणितज्ञों ने पंचांग परम्परा को कायम रखा है। कुछ पंचांगों की जहां नियमितता अब तक बनी हुई है वहीं कुछ पंचांग अल्प समय तक निकले और उनका प्रकाशन बाद में बंद हो गया। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार बीकानेर के पंचांग में गणेश पंचांग, वासुदेव कृष्ण धर्म सागर पंचांग, श्री लक्ष्मीनाथ पंचांग, श्री कामेश्वर पंचांग, श्री हरि प्रकाश पंचांग, श्री सुख सागर पंचांग आदि प्रमुख है। वहीं श्री मरुधर पंचांग, श्री राजराजेश्वरी पंचांग आदि की शुरूआत नगर के ज्योतिषाचार्यो और गणितज्ञों की ओर से की गई।

पंचांगकर्ता व उनकी टीम
पंचांग तैयार करने में ज्योतिषाचार्यो और गणितज्ञों की भूमिका अहम रहती है। साल भर की मेहनत के बाद एक संवत् का पंचांग तैयार होता है। बीकानेर की पंचांग परम्परा में ज्योतिषाचार्य व गणितज्ञ पंडित पूनम चंद किराडू, बाबूलाल शास्त्री, पंडित कस्तूर चंद किराडू, पंडित अक्षयराम जोशी, पंडित मनीराम व्यास, पंडित केवलराम किराडू, पंडित शिवराज किराडू, पंडित लालचंद किराडू, पंडित रतन लाल पुरोहित, पंडित रामोसाह मिश्र, पंडित लाभूराम किराडू, पंडित खेताराम हर्ष, पंडित राजेन्द्र किराडू, पंडित मोतीलाल ओझा, पंडित भागीरथ ओझा, पंडित मुरलीधर ओझा, पंडित बंशीधर ओझा, पंडित गोरधन ओझा,पंडित प्रहलाद दास ओझा, पंडित शिवरतन छंगाणी, पंडित लक्ष्मीनारायण भादाणी, पंडित राधाकृष्ण ओझा, पंडित बंशीधर बिस्सा, पंडित दीपचंद ओझा, पंडित सुखदेव ओझा, पंडित नथमल ओझा, पंडित सूरजकरण ओझा, पंडित जीवणराम भादाणी, पंडित धरणीधर भादाणाी, पंडित बुलाकी दास किराडू, पंडित मालीराम शास्त्री, पंडित श्रीबल्लभ ओझा, पंडित सत्यनारायण ओझा, पंडित सुंदर लाल ओझा, पंडित अशोक कुमार ओझा, पंडित पंकज कुमार शर्मा, पंडित नेमीचंद पालीवाल, पंडित कृष्णानंद पाण्डेय, पंडित शंकर पाण्डेय, पंडित जितेन्द्र आचार्य आदि ।

राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति
नगर के कई पंचांगकर्ताओं ने अपनी विद्वता के माध्यम से पंचांग तैयार करने में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उस दौर में जब काशी, बनारस, जयपुर, जोधपुर सहित कई स्थानों के पंचांगों की देशभर में पहचान बनी हुई थी, उस दौर में भी बीकानेर में तैयार होने वाले पंचांगों ने अपनी सटीक गणित और विद्वानों की पारंगता के माध्यम से अलग पहचान बनाई।



source https://www.patrika.com/bikaner-news/bikaner-panchang-6871963/

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