कमर रो कंदोळो भंवरजी ढीलो-ढीलो लागै

बीकानेर. धुलंडी के दिन से चल रहे गणगौर पूजन उत्सव के आखिरी पड़ाव में धींगा गणगौर पूजन उत्सव की पूर्णाहुति होंगी। गुरुवार और शुक्रवार को दो दिवसीय पूजन उत्सव के आयोजन होंगे। घर-घर में दीवारों पर चित्रित की गई धींगा गणगौर की प्रतिमाओं का पूजन कर विविध भोजन सामग्रियों का भोग अर्पित किया जाएगा। महिलाएं सामुहिक रूप से धींगा गणगौर का पूजन कर कथा सुनेगी और पूजन उत्सव की पूर्णाहुति करेंगी। घरों में गणगौर प्रतिमाओं के आगे महिलाएं पार परिक गणगौरी गीतों का गायन करेंगी और नृत्य प्रस्तुत करेंगी। धींगा गणगौर प्रतिमाओं के श्रीफल, पताशा, मिठाई, ऋतुफल और नकद राशि से खोळा भरने की रस्म होंगी। गणगौर प्रतिमाओं को पानी पिलाने, भोग अर्पित करने और धोती ओढ़ाने की पर परा का निर्वहन किया जाएगा।

घर-घर में पिछले पन्द्रह दिनों से धींगा गणगौर का पूजन चल रहा है। महिलाएं घर-परिवार की सुख समृद्धि और मंगल कामनाओं को लेकर धींगा गणगौर का पूजन कर रही है। पूजन उत्सव के तहत बुधवार को घरों में पूजन और गणगौरी गीतों के गायन हुए। गुरुवार को कई परिवारों में पूजन उत्सव की पूर्णाहुति अवसर पर मां धींगा गवर का धूमधाम से पूजन किया जाएगा। मीठा चणा, फीका चणा, मोटा भुजिया, पताशा, चूरमा, पंधारी लड्डृ आदि का विशेष रूप से भोग अर्पित किया जाएगा। वहीं आईसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, विभिन्न प्रकार के फास्ट फूड आदि का भोग गणगौर प्रतिमाओं के समक्ष अर्पित किया जाएगा। धींगा गणगौर का बैसाख बदी तृतीया पर बड़ा पूजन और चतुर्थी को गवर को विदाई देने की रस्म निभाई जाती है।



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