यहां डोलची से बरसता है आपसी प्रेम-सौहार्द

बीकानेर. होलाष्टक में आयोजित होने वाला पानी खेल डोलची दशकों से बीकानेर की होली का अभिन्न अंग बना हुआ है। विभिन्न जातियों में आपसी प्रेम, सौहार्द और प्रगाढ़ संबंधों के प्रतीक के रूप में खेले जाने वाला यह खेल दशकों से अपनी विशिष्ट खेल शैली के कारण आकर्षण का केन्द्र बना रहता है। इस खेल में डोलची खेलार एक-दूसरे की पीठ पर डोलची में पानी भरकर मार करते है। पीठ पर पानी के टकराने और निकलने वाली सटाक की आवाज इस खेल को देखने वालों को रोमांचित करती है। करीब डेढ से दो घंटे तक चलने वाला यह खेल रियासतकाल से चल रहा है। हर साल हर्षो का चौक, बारह गुवाड़ चौक और सिंगिया भादाणी चौक में इस खेल का आयोजन निर्धारित तिथि के दिन होता है।

 

हंसते-हंसते सहन करते है वार
डोलची खेल के दौरान पानी की मार से खिलाडिय़ों की पीठ लाल हो जाती है व कई बार पानी की धार से कपड़े तक फट जाते है, लेकिन डोलची खिलाड़ी होली की मस्ती और प्रेम सौहार्द से लबरेज होकर इस प्रेम भरी मार को भी हंसते-हंसते सहन करते है। इस खेल में खिलाडिय़ों की आपसी प्रतिस्पद्र्धा से कही अधिक पानी की बौछार के साथ प्रेम और सौहार्द बरसता है। खेल समाप्ति के दौरान खिलाड़ी एक-दूसरे के लिए उत्तम स्वास्थ्य और सुखमय जीवन की कामनाएं करते है।

 

बच्चों से बुजुर्ग तक लेते है हिस्सा
पानी खेल डोलची में संबंधित जातियों के साथ विभिन्न जातियों और समाज के लोग प्रेम सौहार्द के रूप में इसमें शामिल होते है। इस खेले में छोटे-छोटे बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग तक शामिल होते है। इस खेल में केवल पुरुष खिलाड़ी ही शामिल होते है। डोलची खेल निर्धारित स्थान और परम्परानुसार होता है। विभिन्न जातियों के कई लोगों ने डोलची मार खेल में उपलब्धि भी हासिल की है। खेल समाप्ति की घोषणा जातियों के बड़े बुजुर्ग हवा में गुलाल उड़ाकर करते है।

 

चमड़ा और लोहे की डोलची
डोलची खेल में वर्षो पहले चमडे से बनी डोलची का ही उपयोग होता था। वर्तमान में लोहे से बनी डोलचियों का अधिक उपयोग हो रहा है। खेल के दौरान लोहे के बड़े कडाव और लोहे की टंकियों में पानी भरकर रखा जाता है। इस पानी में इत्र, केवडा मिलाया जाता है। इसी पानी से खिलाड़ी डोलची खेल खेलते है। खेल के दौरान मोहल्ले के सभी घरों की छतों पर बड़ी संख्या में महिलाएं और बालिकाएं मौजूद रहती है। जो इस खेल का आनन्द लेती है।

 

यहां होता है आयोजन
हर्षो के चौक में हर्ष और व्यास जाति के बीच दशकों से इस खेल का आयोजन हो रहा है। वहीं बारह गुवाड़ चौक में ओझा-छंगाणी जाति के बीच डोलची खेल का आयोजन होता है। इस खेल से पहले भगवान कृष्ण की माखन चोर लीला का भी मंचन होता है। सिंगिया भादाणाी चौक में जोशी और भादाणी जाति के बीच इस खेल का आयोजन होता है। यहां वर्ष 2013 में इस खेल की शुरूआत हुई।

 

विभिन्न जातियों के लोग लेते है हिस्सा
डोलची खेल भले ही दो जातियों के बीच होने वाला और जग प्रसिद्ध खेल हो, लेकिन इस खेल में जिस स्थान पर आयोजित होता है उस मोहल्ले में रहने वाले अन्य जातियों व समाज के लोग भी प्रेम सौहार्द के रूप में शामिल होते है। जिन जातियों के बीच यह खेल होता है उन जातियों के सगे-संबंधी भी इस खेल को न केवल देखने पहुंचते है बल्कि खेल में शामिल भी होते है।

 

इस दिन होगा आयोजन
होलाष्टक में इस बार हर्ष और व्यास जाति के बीच पानी खेल डोलची का आयोजन 26 मार्च को होगा। वहीं जोशी और भादाणी जाति के बीच डोलची 27 मार्च को होगा। ओझा-छंगाणी जाति के बीच सतरंगी डोलची खेल 28 मार्च को होगा।



source https://www.patrika.com/bikaner-news/water-sports-festival-takes-place-at-three-places-6759566/

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