अटल अखाड़ा जीत का, सकल सभा सवाई रे
बीकानेर. रियासतकाल से होली के अवसर पर आयोजित होने वाली रम्मतें अपने अखाड़ों और उस्तादों को लेकर ख्यातिलब्ध रही है। रम्मत स्थल जिन्हें अखाड़ा भी कहा जाता है शुरू से उस्तादों और रम्मत कलाकारों के लिए पूजनीय और वंदनीय रहे है। उस्ताद के नेतृत्व में कलाकार अखाड़े में प्रवेश करने से पहले अखाड़े की मिट्टी को शीश पर लगाकर न केवल पूर्व उस्तादों और कलाकारों को वंदन करते है बल्कि रम्मत की शुरूआत में अलाप के माध्यम से उन्हे स्मरण कर भरी सभा में मान रखने और अखाड़े की जीत की कामना भी करते है।
मां सरस्वती और इष्टदेव और देवी की चरण वंदना कर अलाप में अखाड़े का नाम, उस्ताद का नाम लेकर अखाड़े की पहचान भी बताई जाती है। दशको से उस्ताद के नेतृत्व में रम्मत कलाकार श्रद्धा एवं आस्था के साथ अलाप का गायन करते है। इसके बाद ही रम्मत की शुरूआत होती है। अलाप गीत और दोहो के रूप में है। सुर धीमा और चढ़ती राग में अलाप होती है।
सो नाथ के हाथ है लाज हमारी
बारह गुवाड़ चौक हेडाऊ मेहरी रम्मत कलाकार बी आर सूरदासाणी के अनुसार अलाप में ‘चेला भैरवनाथ का सिंवरू बारम्बार, नाथ कोडेणे वाला कर दुष्टन को दूर, पीवे भर मद को प्याला है, अटल अखाडा जीत का गुरु तनसुख दास ’ का गायन किया जाता है। इसी प्रकार ‘कलकत्ते श्री कृष्ण कही जत बृज मे विराजै कुंज बिहारी, गया प्रयाग गोपाल गोविन्दो, मथुरा में श्री आप मुरारी, काशी में कमलापति केशव, उज्जैन में नरसिंह अवतारी, बीकाणै विराजत श्री लक्ष्मीवर , सो नाम के हाथ है लाज हमारी ’ का गायन किया जाता है। वहीं मरुनायक चौक हेडाऊ मेहरी रम्मत के उस्ताद अजय कुमार देरासरी के अनुसार रम्मत शुरू होने से पहले अलाप में ‘श्री सरसुत शिंवरू मै तुझे रहू चरणों में लेट, प्रसन्न होय कृपा करो और दूध अक्षर दो मेट, कवि श्री मुरली मनोहर का धरूं ह्दय में ध्यान, याद करु कृपा करो रखो सभा बीच मान ’ का गायन किया जाता है।
रखना सभा बीच ध्यान रे
आचार्य चौक में मंचित होने वाली अमर सिंह राठौड़ रम्मत के उस्ताद डॉ. मेघराज आचार्य के अनुसार रम्मत शुरू होने से पहले अलाप में ‘अर्जी कंरु कर जोड के दुर्गे हमारी मात है, रख भक्त की प्रतिपालना मेरी लाज तेरे हाथ है, उस्ताद मेरा जेठमल उनके दो लम्बे हाथ है, रख लाज मेरी आन के मजलिस में दे दे साथ है ’ का गायन रम्मत कलाकार करते है। इसी प्रकार फक्कडदाता रम्मत कलाकार हरि पुरोहित के अनुसार अलाप ‘सकल सभा सवाई रे, श्रे अखाड़ा तनसुखदास मैं गाता सभा में ख्याल गाता ’ का गायन किया जाता है। वहीं कीकाणी व्यास चौक में मंचित होने वाली उस्ताद जमना दास कल्ला स्वांग मेहरी रम्मत के वरिष्ठ कलाकार मदन गोपाल व्यास के अनुसार अलाप में ‘सरस्वती सिवरू तुझे वर दे, मुझे वरदान रे, शारदा सकल की रख सभा में मान रे, गणपति गणराज का, लटियाल का धंरू ध्यान रे, उस्ताद जमुना दास जी है, मुल्को में सरनाम रे, छंद गुनी ऐसा कहे, रखना सभा बिच ध्यान रे ’ का गायन किया जाता है।
मंडली मेरी नित खुश रहे
बिस्सा चौक में होने वाली नौटंकी शहजादी रम्मत के उस्ताद किशन कुमार बिस्सा के अनुसार अलाप ‘शिव शिव रटे, ंसंकट कटे, दुष्मन हटे घबराए के, काशी विश्वेश्वर नाथ जी मोरी मदद करजो आय के, गणराज कर सिद्ध काज अब मोरी लाज तोरी हाथ है, कर जोड करता बंदगी रिद्ध सिद्ध दोनो साथ है, शंकर दिगम्बर है पिता, गवरजा तुम्हारी मात है, भक्तन के कारज सिद्ध करो, त्रिलोकी के तुम नाथ हो, गुरु जागनाथ उस्ताद जी जिनका मेरे सिर हाथ है,मंडली मेरी नित खुश रहे, महफिल में मेरे साथ है ’ का गायन किया जाता है। वहीं बारह गुवाड़ चौक स्वांग मेहरी रम्मत के कलाकार विजय कुमार ओझा के अनुसार अलाप में मां सरस्वती और उस्ताद की चरण वंदना कर अखाडा तनसुख दास का वर्णन किया जाता है। भट्ठड़ो का चौक, सुनारो की गुवाड़ स्वांग मेहरी रम्मत की शुरूआत में अलाप का गायन होता है।
source https://www.patrika.com/bikaner-news/rammat-debut-with-alap-master-charan-vandana-6756121/
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