बांधों में नहीं पर्याप्त पानी, किसानों को करनी होगी किफायत

बीकानेर. इस बार इंदिरा गांधी नहर को सिंचाई पानी कम ही मिल सकता है। नहर का जल स्रोत पोंग बांध अपनी पूरी क्षमता से नहीं भर पाया है। ऐसे में नहर विभाग ने बांध में पानी की स्थिति को देखते हुए शुक्रवार को सिंचाई पानी के लिए नहरों का रेगुलेशन भी जारी कर दिया था। अब दिसंबर में फिर से रेगुलेशन को रिव्यू किया जाएगा।

रेगुलेशन को लेकर इंगांनप अति-मुख्य अभियंता जैसलमेर की अध्यक्षता में शुक्रवार को बैठक हुई थी। इसमें जल वितरण एवं जल उपयोग के संबंध चर्चा की गई। राजस्थान के लिए तीन बांधों से पानी का वितरण किया जाता है। इसमें मुख्य तौर पर ९० प्रतिशत पानी पोंग बाध से आता है। शेष पानी रणजीत सागर एवं हरिके बैराज से आता है। इस बार इन बांधों के कैचमेंट एरिया में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई कि बांध अपने स्तर के अनुसार भर जाएं। इस कारण इस बार जिले में काश्तकारों से रबी की कम पानी की फसलों की अधिक बुवाई करने का आग्रह किया जा रहा है।

इस संबंध में जल परामर्शदात्री समिति सदस्य सचिव एवं अधीक्षण अभियंता द्वितीय चरण वृत प्रथम, विवेक गोयल ने बताया कि पौंग की भराव क्षमता १३९० फीट है। वर्तमान में इसके मुकाबले जलस्तर १३७३ फीट था। इसी बांध से मुख्य रूप से राजस्थान की नहरों को पानी मिलता है।

गत वर्ष एवं इस वर्ष बांधों में जल स्तर की स्थिति


बांध जलस्तर-२०१९ जलस्तर-२०२० भराव क्षमता

पोंग बांध १३८५.५३ फीट १३७३.३७ फीट १३९० फीट

भाखड़ा बांध १६७३.६८ फीट १६५७.४८ फीट १६८० फीट

लोहगढ़ से ९१२१ क्यूसेक डेट पानी

लोहगढ़ हैड आरडी ४९६ से राजस्थान सीमा पर इंगांनप फीडर को २६ सितंबर प्रात: आठ बजे ९१२१ क्यूसेक डेज पानी मिल रहा था। इस बार अक्टूबर में नहर को चार में से दो समूह में पानी चलाने में को समस्या नहीं आएगी।

यह है प्रस्तावित रेग्यूलेशन

बांधों में आवक के आधार पर २१ सितंबर २०२० को किए गए आंकलन के अनुसार रावी-व्यास नदियों के पानी में राजस्थान का डिप्लीशन अवधि में पानी का हिस्सा १७८३६९३ क्यूसेक डेज निर्धारित किया गया। इसमें इंगांनप का हिस्सा १३३१८५५७ क्यूसेक डेज है। उपलब्ध पानी के आधार पर इंगांनप को दो बारी पानी २६ सितंबर से ३० अक्टूबर तक चार में से दो समूह चलाने के बाद शेष पांच तीन में से एक समूह में चलाई जाएगी। इस रेग्यूलेशन के अनुसार नहरों को चलाने के लिए कुल १५६१३७५ क्यूसेक डेज पानी की आवश्यकता होगी।

जिले में रबी में ये होती फसलें

बीकानेर जिले में कम पानी की फसलों में सरसों, चना व मेथी होती है। इस संबंध में सहायक कृषि निदेशक आरके मेहरा ने बताया कि नोखा व श्रीडूंगरगढ़ में कुओं व ट्यूबवैल से सिंचाई की जाती है। यहां पर अधिकतर गेहूं की फसल होती है। नोखा में कुछ क्षेत्र में मेथी भी होती है। खाजूवाला में सरसों व गेहूं तथा लूणकनरसर के बारानी क्षेत्रों में चना होता है। अक्कासर, भोलासर की तरफ जीरा होता है। मेहरा ने कहा कि इस बार नहरों में भी पानी कम मिलेगा। इस स्थिति को देखते हुए किसानों को भी कम पानी वाली फसलों पर ही जोर देना चाहिए।



source https://www.patrika.com/bikaner-news/not-enough-water-in-dams-farmers-will-have-to-economize-6424474/

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