कोरोना काल में डराते साइलेंट मौत के आंकड़े
जयप्रकाश गहलोत
बीकानेर। कोरोना अब खतरनाक हो चुका है। अब जो आंकड़े आ रहे हैं वह काफी डरावने हैं। कोरोना ४२ लोगों की जान ले चुका हैं। इनमें से १३ लोग ऐसे थे, जिनकी मौत पहले हुई और कोरोना वायरस की पुष्टि बाद में हुई। यह सबसे ज्यादा गंभीर है। कोरोना का पता चलने से पहले ही सांसों की डोर टूटना। मरने के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आने से स्वास्थ्य विभाग के माथे पर भी चिंता की लकीरें उभर रही हैं।
तीन महीने में 15 और 25 दिन में 27 मौत
अप्रेल से जून माह तक १५ मरीजों की कोरोना से मौत हुई थी जबकि जुलाई माह के २५ दिनों में २७ मरीजों की मौत हो चुकी है। इस लिहाज से जुलाई माह में हर दिन औसतन एक मरीज की मौत हो रही है। अप्रेल में एक, मई में तीन और जून में ११ मरीजों की मौत हुई थी। अब तक हुई ४२ मौतों में से केवल एक १७ वर्षीय तय्यबा की मौत फांसी लगने से हुई। हालांकि मरने के बाद इसकी कोरोना जांच कराई गई जो पॉजिटिव आई। १३ लोगों की मौत के बाद रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई।
डर के कारण अस्पताल आने से कतराते लोग
पीबीएम अस्पताल के सुपर स्पेशिलयिटी ब्लॉक के बाथरुम में कोरोना मरीज एसके मिश्रा की मौत हुई, परिजनों ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाय। हाल ही में राधेश्याम स्वामी की मौत मामले में परिजनों ने कलक्टर व पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन दिया है। ज्ञापन में बताया कि वार्ड में ऑक्सीजन खत्म हो गई और उनके पिताजी की सार-संभाल नहीं हुई, जिससे उनकी मौत हुई। यह दो ऐसे उदाहरण है, जिससे शहरवासी डर-सहमे हुए हैं। इस कारण लोग बीमार होने पर भी अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं जो सबसे बड़ी चिंता की बात है। अस्पताल पहुंचते है तब उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है।
दिन बढ़े, मरीज बढ़े, घट रही सख्ती
कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर तीन अप्रेल को दो मरीज रिपोर्ट हुए। अगले ही दिन एक महिला की मौत हो गई, जिसकी मरने के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई। पहले सरकार और जिला व पुलिस प्रशासन कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए बेहद सख्ती बरत रहे थे। अब जैस-जैसे समय बीत रहा, मरीज बढ़ रहे सख्ती घट गई है। नतीजन शहर का ६० फीसदी क्षेत्र कोरोना की गिरफ्त में आ चुका है। शहर में पिछले दिनों हुए सामूहिक आयोजनों के कारण शहर का अंदरुनी क्षेत्र पूरी तरह से कोरोना की जद में है। प्रशासन ने कफ्र्यू लगाकर इतिश्री कर ली है। बाजारों में भीड़ ऐसे ही लग रही है। लोग बिना मास्क घुम रहे हैं।
अधिकारी बदले, हालात नहीं
हाल ही जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक को बदला गया। नए अधिकारी आने के बाद भी हालात नहीं बदले। पहले भी मरीज रिपोर्ट हो रहे थे और अब भी हर दिन रिपोर्ट हो रखे हैं। नए अधिकारी आने के बाद जांच का दायरा बढ़ाया। संक्रमण की कोशिश कर रहे हैं लेकिन २० दिन बीत चुके हैं लेकिन कामयाबी अभी तक नहीं मिली है।
इनकी रिपोर्ट आई मौत के बाद पॉजिटिव
- बलदेव व्यास (७२)
- तय्यबा (१७)
- मुमताज (५५)
- रोशन अली (४९)
- मोहम्मद रमजान (६०)
- मोहनलाल (८६)
- खातून (५५)
- संपतलाल सोनी (६४)
- राजकुमारी (५५)
- अब्दुल अहमद समेजा (६५)
- मैमुना (५५)
- शरीफन (६५)
- मोहम्मद सदीक (६१)
अब तक की कार्रवाई
शहर का सर्वे 7 बार
घर - ४९ लाख ४७ हजार २६६
लोग - २ करोड़, ८१ लाख ६९ हजार ८८०
सामान्य सर्दी-जुकाम से पीडि़त मिले ७९ हजार ४६ लोग
होम क्वारेंटान में रखे व्यक्तियों की संख्या ७० हजार ९३१
होम क्वारेंटाइन से डिस्चार्ज की संख्या ७० जार २६३
अब तक क्वारेंटाइन में रखे व्यक्तियों की संख्या ८५५५
पीपीई किट १५ हजार ७८२
सैम्पलो की जांच ५८ हजार १५७
सैम्पल नेगेटिव २६ हजार ४०४
अब तक पॉजिटिव १७७८
कोरोना से मौत ४२
एक्टिव केस ७०८
कोरोना का सफर
माह मरीज मौत
अप्रेल ३७ ०१
मई ६९ ०३
जून २२८ ११
जुलाई १४०९ २७
जानलेवा साबित हो रही लापरवाही
कोरोना गंभीर बात है। लोगों की लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है। लोग अस्पताल आने से कतरा रहे हैं। गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचते हैं, जिससे उनकी मौत हो रही है। इस महीने पांच ऐसे मरीज थे जिनकी यहां आने से पहले की मौत हो गई और वे पॉजिटिव आए हैं। मौत के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आना बेहद चिंतनीय है। इसका मतलब कोरोना को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं।
डॉ. एलए गौरी, कार्यवाहक प्राचार्य एसपी मेडिकल कॉलेज
ऐसे लोगों की मौत हो रही है जो कैंसर, डायबिटिज, किडनी, श्वासं की तकलीफ से पीडि़त थे। आमजन को डरने की जरूरत नहीं है। केवल कोरोना से बीकानेर में अब तक कोई मौत नहीं हुई है। पीबीएम में बेहतर उपचार की व्यवस्था है। स्वास्थ्य विभाग के कोविड सेंटर में भी पूरे इंतजाम है।
डॉ. बीएल मीणा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी।
source https://www.patrika.com/bikaner-news/silent-death-figures-intimidating-in-the-corona-period-6300703/
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