घरों से मंदिरों तक सजी झांकियां, कान्हा के जन्मोत्सव की तैयारियां

बीकानेर. जन्माष्टमी पर्व सोमवार को मनाया जाएगा। घर-घर से मंदिरों तक तैयारियां चल रही है। कान्हा के स्वागत में जगह-जगह झांकियां सजाई गई है। पकवानों की खुशबू से घर महक रहे है। मंदिरों और घरों के पूजा स्थलों को रंग बिरंगी रोशनियों, गुब्बारों और विभिन्न सजावटी सामानों से सजाए गए है। कृष्ण के बालस्वरूप के वस्त्र और आभूषणों की खरीदारी चल रही है। सोमवार को मध्यरात्रि 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव घर-घर और मंदिरों में मनाया जाएगा। पंचामृत से ेअभिषेक, पूजन, शृंगार कर कान्हा की महाआरती की जाएगी। कई श्रद्धालु व्रत-उपासना करेंगे।

 

 

बाजारों में रही भीड़

जन्माष्टमी को लेकर रविवार को शहर के बाजारों में विशेष रौनक रही। भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप के वस्त्र, आभूषण, मुकुट, बंशी, झूले आदि की खरीदारी हुई। पूजन के लिए विविध प्रकार की मिठाईयां, नमकीन आदि की दुकानों पर भी भीड़ रही। मंदिरों और पूजा स्थलों को सजाने के लिए विभिन्न प्रकार के पुष्पों की खरीदारी हुई। वहीं जन्माष्टमी पर पकवान के लिए परचून सामग्री की खरीदारी चलती रही। झांकियां सजाने के लिए खिलौनों और पूजन सामग्री की भी खरीदारी हुई।

 

जगह-जगह सजी झांकियां

भगवान कृष्ण के जन्म के स्वागत के लिए कई मंदिरों और घर-घर में झांकिया सजाई गई है। रविवार को बच्चों से बुजुर्ग तक झांकियां सजाने में जुटे रहे। झांकियों में पहाड़, गुफा, झरना, कंस की जेल, नदी, गाय चराते कृष्ण, गोपियों के साथ महारास, पटरी पर दौड़ती रेल सहित पशु, पक्षी और इलेक्ट्रिक खिलौनों और सामान से कलात्मक झांकियां सजाई गई है। झांकिया सजाने का कार्य रविवार देर रात तक चलता रहा।

 

पंचामृत से अभिषेक, गोपाल सहस्त्रनाम स्त्रोत पाठ

कृष्ण जन्माष्टमी पर्व देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार भाद्रपद की अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र और वृषभ लग्न में भगवान कृष्ण का मथुरा में जन्म हुआ। इस दिन भगवान कृष्ण का षोडशोपचार पूजन का विशेष महत्व है। पंचामृत से पुरुष सूक्त से अभिषेक करना चाहिए। रात्रि पर्यन्त गोपाल सहस्त्रनाम स्त्रोत पाठ और कृष्ण मंत्र का जाप भी करना श्रेष्ठ है। पंडित किराडू के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप का विशेष पूजन अर्चन फलदायी है। कृष्ण के माखन और मिश्री का भोग लगाना चाहिए। व्रतधारी लोग भगवान का पूजन कर चंद्रोदय के बाद व्रत का पारणा करते है।



source https://www.patrika.com/bikaner-news/janmashtami-1-7037868/

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